business types


Details Structures Of Business

                                                                                जानने के लिए अवश्य पढ़ें 
नमस्कार दस्तों मैं  हूँ दीपक बर्मन ,और मैं  आपको आज बताऊंगा business model के बारे में। 
देखिए दस्तों  पैसा तो हम सब लोग कमाना चाहते हैं । लेकिन पैसा कमाने के लिए बहुत सारे sources हैं।
ऐसे ही एक source हैं Business ,जिससे हमें  अच्छा खासा पैसा earn होता हैं।
लेकिन इसके लिए हमें  चाहिए knowledge ,और काम करने के लिए मेहनत । तभी हम बिज़नेस कर पाएंगे।
ज्यादातर लोग बिज़नेस शुरू तो कर लेता हैं लेकिन knowledge कम की वजह  से ज्यादा grow नहीं कर पाते हैं। इसलिए knowledge बढ़ाना बहुत जरूरी हैं।लेकिन दोस्तों knowledge बढ़ेगा  कैसे ?
बहुत सारे book ,आर्टिकल ,यूट्यूब और senior person जो business करता हैं आदि से आप knowledge grow कर सकते हैं। ऐसे ही मैं आपको बताऊंगा business से relative आर्टिकल।  वैसे  तो कॉमर्स बैकग्राउंड के स्टूडेंट को पता होगा। लेकिन जो कॉमर्स बैकग्राउंड से नहीं हैं, यह पोस्ट उनके लिए हैं।
तो बिना समय गवाए  शुरू कर लेते हैं।
 हम शुरू से सीखेंगे ---

  पहले जानते है business होता कया हैं ?

Business  एक अंग्रेजी word है.  बिजनेस शब्द आया busy  से.  अर्थात व्यस्तता. हर इंसान को अपने जीवन में दो प्रकार के     क्रियाओं मैं   व्यस्त रहना पड़ता है.

No - 1आर्थिक  क्रियाएं
No- 2 गैर आर्थिक   क्रियाएं
 आर्थिक क्रियाओं को ही business कहा जाता है. लेकिन गैर  आर्थिक     क्रियाओं को नही। क्योंकि इसका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता है केवल इसका उद्देश्य सिर्फ आत्म संतुष्टि,समाज सेवा आदि उद्देश्यों को  प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं।  जैसे Example - धर्म प्रचार, समाज सेवा,दान करना  आदि। 

 इसके विपरीत   आर्थिक क्रिया एक ऐसी  क्रिया है,जो मूल रूप से पैसा कमाने के लिए की जाता हैं। एवं जिनसे व्यक्ति के आवश्यकताओ की पूर्ति करने में मदद मिलता हैं। जैसे कारखानों में निर्माण किए गए वस्तुओं को विक्रय।
shopkeeper से goods   sales   आदि। 

Definition of Business

Beard  and   Pilar  के अनुसार, व्यवसाय एक ऐसी संस्था है, जो कि निजी लाभ की प्रेरणा के अंतर्गत समाज की वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध करने के  दृष्टिकोण से संगठित एवं  परिचालित की जाती हैं। 

three types business होता हैं

  • manufacturer--जो product बनाता हैं। 
  • trader --जो की product manufacturer से खरीद के बेच ता हैं। 
  • service provider --जो अपने सेबा प्रदान करता हैं। 

Business Organisation-

three types की business Organisation होता हैं -
  1. private sector इसमें  managed ,controlled और owned यह सब private individuals के पास रहता हैं। government की इसमें  कोई हाथ  नहीं रहता।सिर्फ company के अलावा। आगे मैं company के बारे में बताऊंगा। प्राइवेट सेक्टर का main motive सिर्फ earning . 
  2. public sector -इसमें सिर्फ central government और state government काई हाथ रहता हैं।  इनका  सिर्फ main motive होता हैं सिर्फ service provide करना। example इंडियन oil ,बीएसएनएल ,रेल आदि।  
  3. joint sector --यह  sector पब्लिक और government join मैं चलाता हैं। इसमें गवर्नमेंट officer रकता हैं। 
अब हम जानते हैं private sector enterprises कितने तरह होते हैं।  उनका कया कया feature होता हैं ,क्या legal entity होता हैं आदि।
Private sector enterprises -five types की होता हैं 
  1. Solo proprietorship ,
  2. Partnership ,
  3. Joint hindu family business ,
  4. CO-Operative society 
  5. Company . 

Sole proprietorship -

अब जान लेते हैं sole proprietorship के बारे में । इस का नाम से आपको पता चल गया होगा। sole का मतलब होता हैं One और Proprietor का मतलब Owner . 
इस मतलब जो बिज़नेस एक ही पर्सन से चलाया जाता हैं। अर्थात मालिक भी वह  हैं ,चलाता भी वह हैं और manage भी वह  करता हैं जो बिज़नेस स्टार्ट किया। इसे हम Sole proprietorship कहते हैं। 
example -local retail shop . 

Feature -अब जानते हैं  इसका क्या क्या फीचर हैं। 

type of business organization in hindi
details structure of business


  • Ownership and Control : - one person ही इसको manage करना परता हैं। और बिज़नेस owner भी एक होते हैं। 
  • NO separate legal entity : - government ने इसके लिए कोई क़ानूनी registration नहीं बनाया हैं. इसके लिए अलक से कई low नहीं हैं। 
  • Small size : -यह  small scale  business हैं। Sole proprietorship business, business का पहला धाप हैं। 
  • Unlimited liability : - इसमें proprietor के personally liability रहता हैं। अर्थात अगर बिज़नेस मैं loss हो जाए और proprietor कोई loan लिया हो अथवा किसी से उधार लिया हो। तो उन्हें पर्सनल जमीन -जायदाद ,jewelry आदि अर्थात personal asset बचके भी कर्ज चुकाना होगा। इसका liability unlimited हैं। 
  • Risk and profit : - इस मैं risk भी खुदका होता हैं और profit भी खुदका होता हैं।
  • Business run : - यह बिज़नेस कोई भी पर्सन कर सकता हैं। इस को रन करना बहुत आसान हैं। क्योंकि इसमें कोई गवर्नमेंट के तरफ से रजिस्ट्रेशन नहीं हैं। लेकिन proprietor चाहे तो अपने बिज़नेस नाम से क़ानूनी तैार  से Gomasta LIcence ले सकता हैं। Licence के बारे में आपको मैं  बाद में बताऊंगा।  
  • Validity period  : - Sole proprietorship मैं ,proprietor के death के बाद sole proprietorship business भी बंद हो जाता हैं। 

Partnership --

दो or उससे ज्यादा पर्सन मिलकर जो बिज़नेस चलाया जाता हैं उसको ही हम partnership business कहते हैं। 
section 4, Indian partnership Act 1933 मैं कहा गया partnership as the relation between persons who have agreed to share the profit of a business . इसमें भी proprietorship के तरह कोई क़ानूनी तैार से registration नहीं होता हैं। सिर्फ partnership deed होता हैं। जिसमें लिखा होता हैं किसका कितना शेयर होगा और किसका कितना लायबिलिटी रहेगा  ,कौन क्या काम करेगा अदि के बारे मैं। यह सब चाहे तो oral भी हो सकता हैं और चाहे तो written भी हो सकता हैं depend करता हैं पार्टनरों के ऊपर। 

feature   के बारे मैं अब बाद कर लेते हैं --

types of business organization
types of business organization

  • Person  : - minimum members two होना चाहिए partnership business मैं। और maximum two hundred . 
  • No separate legal entity  : - proprietorship के तरह इसमे भी कोई legal entity नहीं हैं। क़ानूनी तैार  से कोई registration ,कोई low नहीं हैं। जो पार्टनरों को मानना पड़ेगा। 
  • Liability of partnership  : -इसमें भी unlimited liability हैं proprietorship के तरह। 
  • Agreement : -इसमें दो पर्सन अथवा जितना भी पर्सन हैं दोसो के बीच उनका सिर्फ एग्रीमेंट होते हैं। मैने पहले भी कहा था एग्रीमेंट  चाहे वह oral भी हो सकता हैं ,चाहे वह written . 
  • Business run : -इसको रन करना भी easy होता हैं। कोई भी पर्सन चाहे तो पार्टनरशिप होके बिज़नेस शुरू करके रन कर सकता हैं। 
  • Validity period  : -कितना दिन बिज़नेस चलेगा ये depend करता हैं पार्टनरों के ऊपर। 

Joint hindu family business--

joint हिन्दू family बिज़नेस देखा जाता हैं वेस्ट बंगाल मैं। आपके मन में सबाल आया होगा यह  बिज़नेस होता क्या हैं ?यह बिज़नेस होता हैं एक फॅमिली बिज़नेस। जो कि एक फॅमिली मिलके चलाते हैं। अर्थात total family member मिलके। Joint हिन्दू family बिज़नेस में जो main member होता हैं उनको karta (कर्ता )कहा जाता हैं। इनके नाम से ही ये बिज़नेस चलाया जाता हैं। 

Feature --


forms of business organisation in hindi class 11
list of different types of businesses

  • membership by birth : joint हिन्दू family मैं person automatically जन्म होते ही membership बन जाता हैं। 
  • Agreement : यह एक family बिज़नेस होते हैं। इसमें कोई एग्रीमेंट नहीं होते। 
  • Management : इस बिज़नेसको control and manage करता हैं family का senior male member . जिसे कर्ता कहा जाता हैं। 
  • Liability : proprietorship के तरह liability होता हैं अनलिमिटेड। अगर बिज़नेस loss हो जाए or फ़ैल हो जाए तो सब कर्ज चुकाना पड़ेगा family का कर्ता को। चाहे पर्सनल asset बेचके ही क्यों ना हो।
  • Member : joint hindu family business मैं minimum members होना चाहिए दो (two) और maximum no limit . 
  • Registration : इस बिज़नेस को करने के लिए registration कराना  compulsory नहीं हैं। Hindu low act के मुताबिक।  
  • Validity period : joint hindu family business मैं कर्ता के मौत के बाद family का senior member automatic कर्ता बन जाता हैं। 

Co-operative society



list of different types of businesses
type of business categories

Co -operative society एक अलग तरह की बिजनेस Enterprises हैं। इसका main  motive  profit  कमाना नहीं हैं। इसका motive सिर्फ एक दूसरे को help करना हैं। कुछ लोग अथवा कुछ संस्था जब एक साथ  मिलके एक organisations बनाते हैं एवं एक दूसरे को help करने और help पाने  के लिए. तब चाहे तो co -operative society बनवा सकते हैं। को -ऑपरेटिव सोसायटी बनाने के लिए  minimum 10 person  होना चाहिए। इसको रजिस्ट्रेशंस करवना  कंपलसरी होता हैं। इसमें शेयर कैपिटल जो होता है वह कंट्रीब्यूट होता है कोऑपरेटिव सोसायटी के मेंबर्स को। यह  सोसायटी बैंक से लोन भी उठा सकते हैं। 

 Feature ---

  • --- कोई भी person  जो समझते हैं मुझे भी हेल्प करना है और हेल्प पाना है तो वह  यहां पर आ सकता हैं। Example  कोई भी farmer Agricultural Society में आ सकता हैं। और कोई भी  consumer  Consumer Society में join हो सकता हैं।  मान लो कुछ लोग मिलकर थोड़ा-थोड़ा  करके पैसा co-operative society में  जमा कर लेता हैं। और मान लीजिए  उसी सोसायटी का कोई मेंबर को कुछ पैसे का जरूरत पड़ता है  तो वह इसी  फंड में से थोड़ा सा इंटरेस्ट  देखें फंड ले सकता हैं।  इस society में कोई भी आ सकता है और  नोटिस देकर  छोड़ भी सकता हैं। members आने और जाने में से इस society का कुछ फर्क नहीं परता। उनके पास सिर्फ जो share था वह सिर्फ दूसरे member खरीद लेगा। यह process बिलकुल share market की तरह होता हैं। आप share market or stock market के बारे में जानते हैं तो इसको समझमे आपको मुश्किल नहीं होगी। अगर नहीं जानते हैं तो comment में लिख लीजिएगा जरूर। में इसका भी post भेजूंगा।
  •  मैंने पहले भी कहा है यह society  का main motive profit कमाने  के लिए नहीं है इनका सिर्फ main motive  होता है अपने society और मेंबरों को service  देना। मान लीजिए मैं इन सोसाइटी  में membership ले रखा हैं। और मुझे पैसों की जरूरत हैं।  तो मैं इन society में से थोड़ा सा interest देकर  ले सकता हूं।

  •  इसको रजिस्ट्रेशन कराना कंपलसरी होता है under co -operative society act -  1912 के मुताबिक। जब यह  रजिस्ट्रेशंस हो जाता है तो इनका एक अलग पहचान होता हैं।  एक अलग person  होता हैं।  अर्थात  इसके नाम से कोई प्रॉपर्टी खरीदी-बेची जा सकता हैं। 


   Company  आप जान लेते हैं कंपनी के बारे में.  पहले जानते हैं कंपनी होता क्या है?-----

 कंपनी mainly 3 तरह के होते हैं
1   O.P.C -one person company. 
2   Private limited company. 
3   Private limited company. 

O.P.C 

how many types of companies in india
types of companies in india with examples

O.P.C एक ऐसी company होते हैं  जिसमें सिर्फ one person और  one nominee  रखकर रजिस्ट्रेशन करके incorporate  कर सकता हैं। पहले कंपनी बनाने के लिए कम से कम 2 पर्सन की जरूरत पढ़ता था।लेकिन वर्तमान में एक ही person  चाहे तो अपना पूंजी लगा के one person कंपनी स्टार्ट कर सकता हैं। 
लेकिन कंपनी का नाम में O.P.C  word लगाना  होगा।जैसे D.S.K traders (O.P.C)

Private limited company 


 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में मिनिमम 2 मेंबर होना चाहिए और मैक्सिमम  200.  कोई भी individual person     प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में रजिस्ट्रेशन करा सकता हैं। registration  के बारे में मैं बाद में detail से पोस्ट लिखूंगा।
 कैसे रजिस्ट्रेशंस किया जाता है प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को। 
 इस कंपनी में शेयर अपने ही फैमिली मेंबर्स और close  friend  खरीद सकते हैं।  लेकिन public इस  प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से शेयर खरीद नहीं सकते।

Public limited company



कम्पनीओ में पब्लिक लिमिटेड कंपनी सबसे बड़ा  होता हैं। इस कंपनी को registration कराना compulsory होता हैं। बहुत ही rule भी मानना पड़ता हैं इस कंपनी को। 
public limited company में public चाहे तो share खरीद सकते हैं broker के through अथवा share or stock market के माध्यमसे। 
 हम आने बाले पोस्ट में company के बारे में बहुत कुछ सीखेंगे।जैसे कौनसी कंपनी को कैसे registration किए जाते हैं। इन company का advantage or disadvantage क्या क्या हैं। क्या क्या rules मानना परता हैं अदि। 




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                                                                                                                                           -     






















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