What is GST

What is GST?

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GST

क्या आप जानना चाहेंगे,तो जरूर पड़ियेगा। वैसे तो जीएसटी आकर बहुत दिन हो गए. लेकिन हम में से बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो GST के बारे में नहीं पता है. लेकिन हम बिजनेस तो करना चाहते हैं इसलिए हमें GST के बारे में जानना बहुत जरूरी है. ताकि  बिजनेस को चलाने के लिए और बिजनेस को Grow करने के लिए. तो चलते हैं जान लेते हैं जीएसटी के बारे मैं

नमस्कार दोस्तों मैं हूं दीपक बर्मन और आज हम जानेंगे जीएसटी के बारे में.
जीएसटी के बारे में जानने से पहले हम Short मैं जान लेते हैं पुराने टैक्स सिस्टम के बारे में.


हमारे भारत में मैन दो तरह की टैक्स होते हैं. एक तो है डायरेक्ट टैक्स जो हमें डायरेक्ट देना पड़ता है.
जैसे इनकम टैक्स.जो हम खुद ITR  भरते हैं और टैक्स जमा कर देते हैं.
और दूसरा होता है इनडायरेक्ट टैक्स जो हम डायरेक्ट नहीं देते जैसे एग्जांपल अगर हमने कोई सामान खरीदा और उस
सामान में जो टैक्स लगी हुई है वह हम दुकानदार को देते हैं और उसी टैक्स को दुकानदार रिटर्न फाइल करता है.
और टैक्स जमा कर देता है.इसलिए से इनडायरेक्ट टैक्स कहा जाता है क्योंकि टैक्स हो गया है हमारा लेकिन फाइल करना
हो रहा है दुकानदार को. जीएसटी आने से पहले जो हमारे भारत में जो टैक्स सिस्टम था वह दो भागों में बांटा हुआ था.
एक तो था Central Tax और एक था State Tax. और इसमें 1 dozen  से ऊपर टेक्स्ट था.
जो कि काफी परेशानी आता था. कभी-कभी तो टैक्स के ऊपर टैक्स भी लग जाता था.
इसके अलावा भी अलग अलग स्टेट में अलग अलग VAT (Value Added Tax) था.
जो कि बिजनेसमैन को समझने में काफी परेशानी होती थी. इन Taxes का नेगेटिव क्या क्या था यह तो हम बाद में
डिस्कस करेंगे .वैसे तो बहुत सारे नेगेटिव था इसलिए GST (Good and Service Tax) को लाया गया जिसका
मैन मकसद है One Nation One Tax यानी एक देश एक् टैक्स.
पहले जो टैक्स था.
     Central Taxes.

       1. Central Excise Duty.
2. Additional Excise Duty.
3. Additional Special Duty Of Custom.
4. Countervailing Duty.
5. Service Tax.



     State Taxes
1. VAT (Value Added Tax).
2. Sale Tax / Purchase Tax.
3. Octroi And Entry Tax.
4. CST (Central Sale Tax).
5. Entertainment Tax,Luxury Tax, Lottery Tax.

आप जो टैक्स है.


    GST (Goods and Service Tax)
1. CGST (Central Goods and Service Tax).
2. SGST (State Goods and Service Tax).
3. IGST ( Integrated Goods and Service Tax).
 
तो चलिए चलते हैं हम एक बार जीएसटी को भी जान लेते हैं.


पहले जो था central excise duty उसकी जगह अब देना पड़ेगा CGST. इसका Tax Central Government को देना पड़ेगा और पहले जो VAT था उसकी जगह देना पड़ेगा SGST  जो Tax State Government के पास जाएगा .और जो जो Inter Stateहै यानी एक स्टेट से दूसरे स्टेट में गुड सप्लाई होता हैं। इसके लिए हमें देना पड़ेगा IGST अर्थात Tax आधा परसेंट Central Government  आधा परसेंट उस State को, जहां पर हमने माल सप्लाई किया था. GST का मैन मकसद यही है. जहा पर माल बनता है वहां पर टैक्स नहीं बनता, जहां पर माल सप्लाई होता है उस पर टैक्स बनता. मेरा कहने का मतलब है अंतिम उपभोक्ता को ही टैक्स देना पड़ेगा.

अगर हम इसे डीटेल्स में समझे, तो मान लीजिए अगर कोई सामान वेस्ट बंगाल में  मैन्युफैक्चर हुआ है और वही सामान हमने दिल्ली को सप्लाई किया और फिर दिल्ली वाले वही सामान  महाराष्ट्र को सप्लाई किया तो यहां पर महाराष्ट्र को ही टैक्स देना पड़ेगा. इसी टैक्स को हम आईजीएसटी के नाम से टैक्स भरते हैं और इसका आधा हिस्सा मान लेते हैं18%/2=9% जोकि Central Government खुद रख लेगा और 9%उसी स्टेट को देगा जहां पर माल अंतिम सप्लाई हुआ.   आप हम Details से जानते हैं  Central Goods and Service Tax (CGST)आने से पहले कौन-कौन से Taxes Merged किए गए हैं. वह है-

Central Excise duty, additional Excise Duty, Additional customs duty (CVD), Countervailing Duty, Additional Duty of Customs, Central Sales Tax (CST), Service Tax, Surcharges  and Cesses यह सब Taxes merged किए गए हैं.

और जो State Goods and Service Tax (SGST) उसके Under जो जो टैक्स Merged हुई है वह है

State Sale Tax,  Value Added Tax, Luxury Tax, Entertainment Tax, Lottery Tax, Entry Tax, Octroi, Betting and Gambling ,State Cesses etc.
और जो IGST है वह Inter State Supply के लिए लगेगा जो कि मैं पहले बताया था .एक स्टेट से दूसरे स्टेट में जॉब Goods Supply होगा या एक देश से दूसरे देश में Goods सप्लाई होगा  तब इंटर स्टेट सप्लाई माना जाएगा. और IGST पे करना होगा. और जब हम कोई सामान दूसरे देश से इंपोर्ट करेंगे तब हमें IGST पे करना होगा.
ए तो हुआ Past Taxes. आप जानते हैं पहले कैसे टैक्स पे करना होता था. इसको भी हम थोड़ा सा जान लेते हैं क्योंकि जीएसटी को अच्छे से समझने के लिए पहले वाले सिस्टम को भी थोड़ा-बहुत जानना जरूरी है. तो जानते हैं

बिजनेस ऑर्गेनाइजेशंस जो होते हैं वह 3 तरह के होते हैं.
1.   Manufacturer.
2.   Trader.
3.    Service Provider

1. Manufacturer जो होते हैं वह Product को Production करता है. इसलिए उसे पहले प्रोडक्शन के लिए Excise Duty और                    
Local Sales के लिए VAT और Inter State Sale के लिए CST taxes देना पड़ता  था,

2 Trader  वह होते हैं जो मैन्यूफैक्चर या दूसरे   सप्लायर से Product खरीद के किसी और को बेचता है.और इन्हें Tax pay करना होता है Local Sale के लिए VAT And Inter State Sale के लिए CST.

3. Service Provider वह होते हैं जो आपने सर्विस देता है, जैसे Doctor, Lawyer,Architect,CA , Restaurant,Hotel etc.
इन्हें जो टैक्स पे करना होता था वह है Local State Service Provide and Inter State Service Provide के लिए Service Tax, और जो होटल, रेस्टोरेंट है उन्हें VAT और CST भी पे करना होता  था क्योंकि वह अपने सर्विस के साथ साथ Good भी Provide करना पड़ता था. जैसे खाना.
आगे हम आने बाले पोस्ट में जानेंगे GST के बारे में.
  

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